मोदी 2.0: भाजपा को मतदाताओं का जबर्दस्त समर्थन, अकेले दम पर पार्टी 300 के पार

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लोकसभा चुनाव 2019: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊपर तीखे हमलों और स्थानीय दलों के जाति आधारित गठबंधनों के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अध्यक्ष अमित शाह के विजय रथ को रोकने में विपक्षी दल पूरे तौर पर असफल रहे।

पांच साल के शासन के पक्ष में आये अभूतपूर्व जनसमर्थन ने इस बार भाजपा को अकेले लोकसभा में 300 सांसदों के आंकड़े के पार पहुंचा दिया।

भाजपा को सबसे बड़ी सफलता उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में मिली। उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव और मायावती के गठबंधन को प्रधानमंत्री मोदी के सामने सबसे बड़ी चुनौती माना जा रहा था क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का संयुक्त वोट राज्य की 41 लोकसभा सीटों में भाजपा से ज्यादा था।

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भाजपा को 71 सीटों के मुकाबले 10 सीटों का नुकसान जरूर हुआ लेकिन उत्तर प्रदेश में भाजपा का वोट प्रतिशत 50 प्रतिशत के पार चला गया।

इसी तरह पश्चिम बंगाल में भाजपा ने 40% वोट और 18 सीटें जीत कर ना केवल अपने बढ़े हुए जनाधार को साबित किया बल्कि राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिये 2021 के विधानसभा चुनावों के लिये एक तरह से खतरे की घंटी बजा दी है।

23 तारीख को आये चुनाव परिणामों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी की प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ चौकीदार चोर है का नकारात्मक प्रचार अभियान पार्टी के लिये बेहद नुकसानदायी साबित हुआ और साथ ही यह भी साफ हो गया कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के तौर पर अभी भी देश की जनता की पहली पसंद हैं।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी में चुनाव प्रचार में रोड शो के दौरान। फाइल फोटो।m

इस अभूतपूर्व सफलता से अभिभूत प्रधानमंत्री ने जनता को भरोसा दिया कि वे गलत इरादे से कोई काम नहीं करेंगे।

“मैं देशवासियों से आज जरूर कहना चाहूंगा, इसे मेरा वादा-संकल्प-प्रतिबद्धता मानिए कि आपने जो मुझे फिर से काम दिया है, आने वाले दिनों में मैं बदइरादे, बदनीयत से कोई काम नहीं करूंगा,” नरेंद्र मोदी।

पश्चिमी भारत में इस बार भाजपा को महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान में अभूतपूर्व सफलता मिली। साथ ही उत्तर भारत में भाजपा उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड और मध्य भारत में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पर्वतीय राज्यों उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और साथ में सटे हरियाणा में लगभग पूरी की पूरी सीटें जीतने में सफल रही।

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भाजपा की अभूतपूर्व चुनावी सफलता पार्टी के लिये किसी सपने के पूरा होने से कम नहीं है।

दक्षिण भारत के कुछ राज्य विशेषकर के तमिल नाडु और केरल अभी भी भाजपा के लिये चुनौती बने हुये हैं। कर्नाटक में जरूर भाजपा ने अपनी जड़े मजबूती से जमा ली हैं लेकिन पड़ोसी आंध्र प्रदेश में पार्टी के लिये जगन मोहन रेड्डी की वाई एस आर कांग्रेस और टीडीपी से निपटने की चुनौती भविष्य में बनी रहेगी।

लेकिन भाजपा ने दिखा दिया कि एक सशक्त स्थानीय पार्टी टीआरएस के बाद वह तेलंगाना में कांग्रेस को पीछे छोड़कर के दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन सकती है।

हालांकि अभी भी पंजाब भाजपा के लिये चुनौती है क्योंकि भाजपा का सहयोगी दल शिरोमणि अकाली दल मतदाताओं का विश्वास जीतने में सफल नहीं हो पा रहा है। इसके साथ ही उत्तर पूर्व के कुछ राज्यों में भाजपा को अभी स्थान बनाना है।

लेकिन 2019 के चुनाव देश के भविष्य के लिये निर्णायक हैं क्योंकि जनता ने स्पष्ट कर दिया है कि वह गठबंधन की राजनीति को स्वीकार करने को तैयार नहीं है और यदि कोई भी राजनीतिक दल उसके लिये काम करता है तो उसे संसदीय प्रणाली के बावजूद पूरा समर्थन मिलेगा।

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