लोकसभा चुनाव: क्या चुनाव परिणाम 23 मई को पता नहीं लगेंगे

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Lok Sabha Election 2019 Results: संपूर्ण देश बेहद उत्सुकता से 23 मई की प्रतीक्षा कर रहा है ताकि पता चल सके कि किसकी सरकार बन रही है। मतदाता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक मौका और दे रहे हैं या इसकी जगह मिला-जुला मतादेश आयेगा जिसमें एक गैर-भाजपा गठबंधन की सरकार बनेगी।

लेकिन शायद आम लोगों को चुनाव परिणामों के लिये एक एक दिन और अधिक प्रतीक्षा करनी पड़ सकती है।

किसी विवाद से बचने के लिये इस बार चुनाव आयोग (Election Commission of India) मतगणना (Counting) को लेकर अत्यधिक सतर्कता बरत रहा है।

मतगणना स्थल पर अधिकारी वाई-फाई के जरिए इंटरनेट का प्रयोग नहीं कर पाएंगे। इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों (EVM) में दर्ज वोट के वोट और वोटर वेरीफिकेश पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) की पर्चियों की गिनती और मिलान का काम भी दो अलग समूह करेंगे।

दिसंबर 2018 में मध्य प्रदेश चुनाव में वोटों की गिनती के दौरान राज्य चुनाव आयोग ने प्रत्येक दौर के बाद एक प्रमाण पत्र जारी करने का निर्णय लिया था ताकि कोई आरोप न लगा सके कि मतगणना के अंतिम दौर में चुनाव परिणाम अप्रत्याशित तौर पर बदल गये।

इस बार भारतीय चुनाव आयोग सभी तरह की सावधानियां बरत रहा है ताकि मतगणना में हेरा-फेरी का कोई आरोप आयोग पर नहीं लगाया जा सके।

दिल्ली में सात लोकसभा सीटों के लिए अलग-अलग 7 मतगणना केंद्र उसी लोकसभा क्षेत्र में बनाये गये हैं। पूरा परिसर पर सीसीटीवी कैमरे से निगरानी की व्यवस्था की गयी है। मतदान के बाद स्ट्रॉंग रूम में बंद ईवीएम मशीनों के लिये एक त्रिस्तरीय सुरक्षा की व्यवस्था की गयी है।

मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा

मतगणना वाले दिन ईवीएम में किसी भी तरह की धांधली के आरोपों से बचने के लिए दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO, Delhi) को कड़े निर्देश जारी किये हैं।

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चुनाव अधिकारी आधिकारिक कामों के लिए जो भी इंटरनेट सेवा लेंगे, वह वाई-फाई कनेक्शन नहीं होना चाहिए।

इसके लिये इंटरनेट कनेक्शन टेलीफोन लाइन के जरिये लिया जायेगा और कम से दो कंपनियों की सेवा लेना जरूरी है।

ईवीएम में मतों की गिनती करने वाली टीम वीवीपीएटी पर्चिंयों की गिनती और मिलान करने वाली टीम से अलग बनायी जायेगी।

मतगणना के दौरान अगर एक मतदान केंद्र में पड़े वोट और वीवीपीएटी में मिली पर्चिंयों की संख्या में यदि अंतर होता है तो अधिकारियों को नहीं घबराने की सलाह दी गयी है। उनसे कहा गया है कि उन्हें पहले मतों के अंतर का पता लगाना है।

क्योंकि वास्तविक मतदान से पहले पीठासीन अधिकारी परीक्षण के लिये एक मॉक पोल करते है। जिसमें 50 वोट डाले जाते हैं। उस दौरान भी ईवीएम में वोटों की गिनती होती है। इस तरह से यह पता लगाया जायेगा कि कहीं इन 50 मतों की वजह से तो अंतर नहीं आ रहा है।

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दिल्ली की सात लोकसभा सीट से प्रत्येक लोकसभा के 50 पोलिंग स्टेशनों के वीवीपीएटी के पर्चियों का मिलान ईवीएम में पड़े वोटों से किया जाएगा।

दिल्ली में लोकसभा की सात सीट हैं। एक लोकसभा में 10 विधानसभा सीट हैं। प्रत्येक विधानसभा से 5 पोलिंग स्टेशन के वीवीपीएटी के पर्चियों का मिलान वहां ईवीएम में पड़े वोट से किया जाएगा।

इस तरह पूरी दिल्ली में कुल 350 पोलिंग स्टेशन के वीवीपीएटी की पर्चिंयों की गिनती होगी। इसके चलते अंतिम परिणामों आने में देरी भी हो सकती है।

माना जा रहा है कि इस वजह से अंतिम परिणाम 23 मई की बजाय 24 मई को ही आ पायेंगे।

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